“श्री महंथ रामाश्रय दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भुड़कुड़ा, गाज़ीपुर” पूर्वी उत्तर प्रदेश के शैक्षिक, सांस्कृतिक और नैतिक उत्थान का एक प्रखर केंद्र है। यह महाविद्यालय न केवल शिक्षा का एक प्रतिष्ठित संस्थान है, बल्कि यह एक संकल्प, सेवा और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का मूर्त रूप भी है।इस महाविद्यालय की स्थापना वर्ष 1972 में सिद्धपीठ भुड़कुड़ा के पूज्य संत महंथ श्री महंथ रामाश्रय दास जी के पावन नाम पर की गई थी। स्थापना का यह कार्य बसहर क्षेत्र के आम नागरिकों के सामूहिक सहयोग, परिश्रम और सामाजिक समर्पण का फल था। शिक्षा के क्षेत्र में एक ज्योति जलाने का यह संकल्प उस समय लिया गया जब पूर्वी उत्तर प्रदेश के इस अंचल में उच्च शिक्षा का प्रसार अत्यंत सीमित था।
महाविद्यालय के संस्थापक प्राचार्य डॉ. इन्द्रदेव सिंह जी थे, जो न केवल एक योग्य शिक्षाविद्, बल्कि एक अत्यंत लोकप्रिय सामाजिक व्यक्तित्व भी थे। उनका दूरदर्शी नेतृत्व, अनुशासित व्यवस्था और शैक्षिक प्रतिबद्धता महाविद्यालय की आधारशिला बनी। उन्होंने इस संस्थान को नकलविहीन परीक्षा प्रणाली, मूल्यपरक शिक्षा और अनुशासनप्रियता की मिसाल बना दिया। आरंभ में यह महाविद्यालय गोरखपुर विश्वविद्यालय से संबद्ध था, लेकिन जब पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थापना हुई, तब से यह उसी से स्थायी रूप से संबद्ध है। विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित पाठ्यक्रमों, परीक्षा व्यवस्थाओं एवं अकादमिक निर्देशों का महाविद्यालय पूरी निष्ठा और गुणवत्ता के साथ पालन करता है।
यह महाविद्यालय अपने स्थापना काल से ही गाजीपुर जनपद के अत्यंत पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों को गुणवत्तापूर्ण और सुलभ शिक्षा प्रदान करने के लक्ष्य के साथ कार्य करता आया है। इसका उद्देश्य मात्र औपचारिक शिक्षा प्रदान करना नहीं, बल्कि छात्रों के चरित्र निर्माण, सांस्कृतिक चेतना और सामाजिक दायित्व के विकास में भी अग्रणी भूमिका निभाना रहा है।महाविद्यालय में वर्तमान में कला, विज्ञान, वाणिज्य एवं शिक्षा संकाय संचालित हो रहे हैं, जो स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर तक शिक्षा प्रदान करते हैं। प्रत्येक संकाय में अनुभवी एवं समर्पित शिक्षकों की टोली कार्यरत है, जो छात्रों को शिक्षण, अनुसंधान और व्यक्तित्व विकास के विविध अवसर प्रदान करती है।
शिक्षा के साथ-साथ यह महाविद्यालय राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका को महत्त्व देता है। यहाँ के छात्र-छात्राएँ एनएसएस, स्पोर्ट्स, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, और साहित्यिक गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी निभाते हैं। महाविद्यालय का वातावरण छात्रों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करता है – शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक।महाविद्यालय के गौरवपूर्ण सफर को देखते हुए यह कहना अनुचित न होगा कि इसने न केवल शिक्षण के क्षेत्र में बल्कि सामाजिक उत्थान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यहां से शिक्षा प्राप्त कर चुके अनेक छात्र-छात्राएं आज शिक्षक, प्रशासनिक अधिकारी, समाजसेवी और व्यवसायी के रूप में देश के विभिन्न कोनों में संस्था की पहचान को गौरवान्वित कर रहे हैं।
आज यह संस्थान अपनी स्वर्ण जयंती वर्ष पार कर चुका है। पचास वर्षों की इस दीर्घ यात्रा में महाविद्यालय ने जो प्रगति की है, वह अत्यंत प्रेरणादायी है। स्वर्ण जयंती वर्ष के आयोजन की विभिन्न श्रृंखलाएँ आज भी संस्था में जारी हैं, जिनके माध्यम से अतीत की उपलब्धियों का स्मरण और भविष्य की दिशा का निर्धारण किया जा रहा है। वर्तमान में महाविद्यालय शिक्षा की नई तकनीकी प्रविधियों को अपनाने, डिजिटल शिक्षण, और अनुसंधान व नवाचार की दिशा में भी सशक्त कदम उठा रहा है। इसके साथ ही ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों को आधुनिकता और परंपरा के समन्वय के साथ शिक्षा देना इसका मुख्य ध्येय है।
“अपराजिता” महाविद्यालय की वार्षिक पत्रिका भी इसी समर्पण और रचनात्मकता का प्रतीक है। यह पत्रिका छात्रों, शिक्षकों और साहित्यप्रेमियों के विचारों, लेखों, कविताओं और रचनात्मक अभिव्यक्तियों को एक मंच देती है और महाविद्यालय के बौद्धिक वातावरण को सहेजने का कार्य करती है।
अंततः, श्री महंथ रामाश्रय दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्था नहीं, बल्कि यह पूर्वी उत्तर प्रदेश के युवाओं की आशा, आकांक्षा और आत्म-निर्माण का एक सशक्त केंद्र है। यहाँ ज्ञान केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन को सुसंस्कृत, उत्तरदायी और मूल्यनिष्ठ बनाने का माध्यम है।
महाविद्यालय की मूलभूत जानकारी
स्थापना वर्ष: 1972
मातृ संस्था: श्री महंथ रामाश्रय दास शिक्षा समिति
संबद्धता: वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय, जौनपुर
यूजीसी मान्यता: 12(B) एवं 2(f) के अंतर्गत
अनुमोदन: उत्तर प्रदेश सरकार एवं एनसीटीई (NCTE) द्वारा मान्यता प्राप्त
पता: श्री महंथ रामाश्रय दास स्नातकोत्तर महाविद्यालय, भुड़कुड़ा, गाजीपुर – 275203
मोबाइल: 9455059445
वेबसाइट: www.smrdpgc.in